कार्ल मार्क्स की जीवनी
कार्ल मार्क्स, 1818 ईसवी में प्रशांतीदूत, प्राणियों के मध्यस्थता और मानवता के एक महान समर्थक के रूप में जन्मे। उन्होंने ऐतिहासिक रूप से संघर्षपूर्ण और प्रभावशाली विचारधारा विकसित की, जिसे मार्क्सवाद के रूप में जाना जाता है।
मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को प्रस्तावना नामक ग्राम में आईज़ेन प्रांत, प्रशांती के भाग में हुआ। उनके पिता का नाम हरेम्बर्ट मार्क्स था, जो एक वकील और मूल्यवान कृषि प्रशासनिक अधिकारी थे। उनकी माता का नाम हेनरिएट्टा प्रेसबुर्ग था, जो एक सुदार जनजाति थीं। मार्क्स ने तीन बहनों के साथ अपना बचपन बिताया और उनके परिवार में सामाजिक और पाठशाला मान्यताओं के प्रभाव के कारण, उन्होंने तेजी से सामाजिक न्याय के मुद्दों में रुचि प्रकट की।
मार्क्स की शिक्षा और व्यापार से सम्बंधित कार्यभार में कुछ वर्षों के लिए इंगित किया गया। उन्होंने 1835 में बर्लिन विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की मार्क्स ने बर्लिन विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और वहां फिलोसोफी, इतिहास और विज्ञान में गहराई से पढ़ाई की। उन्होंने वहां युवाओं के एक समूह के साथ भी जुड़कर राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
अपनी शिक्षा के दौरान ही मार्क्स ने इंग्लैंडी बोलने वाली जेनी वेस्टफालिया के नागरिक जनमोहन द्वारा अपनी पत्नी बनाने का फैसला किया। वे 1843 में विवाहित हुए और अपने जीवन के अगले कुछ वर्षों तक कोलोनिया, पेरिस, और ब्रसेल्स जैसे स्थानों पर रहे, जहां उन्होंने विभिन्न विद्यालयों में पढ़ाई की और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे।
1848 में, जब यूरोप में क्रांतिकारी वातावरण था, मार्क्स ने फ्रेड्रिक एंगेल्स के साथ "कम्यूनिस्ट पार्टी के मनिफेस्टो" की रचना की। यह मनिफेस्टो सामाजिक न्याय, मजदूरों के अधिकार और उदारीकरण के लिए प्रबंधन पर प्रकाश डालता है।

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