गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा |
Hello दोस्तों मै मोनु आज हम गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करेगें |
तो चलिए हम इसके बारे मे हम आपको हम पूरी देते हैं |
गैरीबाल्डी - का पूरा नाम ज्यूसप गैरीबाल्डी था | इनका जन्म 180
7 में नीस नामक नगर में हुआ था | यह पेसे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थन था परन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थन बन गया | गैरीबाल्डी ने सशस्त्र कर्न्ति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रान्तों का एकीकरण कर वहाँ गणतंत्र की स्थापना करने का पर्यास किया | गैरीबाल्डी ने नेपल्स और सिसली पर आक्रमण किया | इन प्रान्तों की अधिकांश जनता बूर्बों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गया था | गैरीबाल्डी ने यहां विक्टर एमैनुएल के पर्तिनिधि के रूप मे सता संभाली | गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान का कबूर ने भी समर्थन किया |
1862 में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई |कबूर ने गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पिडमाउंट की सेना भेज दी | इसी अभियान के बिच में ही गैरीबाल्डी को काबूर से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं ख़त्म हो गया | दक्षिण इटली के जीते गये क्षेत्रों को गैरीबाल्डी ने विक्टर एमैनुएल को सौंप दिया |गैरीबाल्डी ने अपनी सारी सम्पति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन जीने लगा | जिस त्याग, देशभक्ति और वीरता का परिचय उसने दिया, उसके उदाहरण संसार के इतिहास मे बहुत कम मिलते हैं | गैरीबाल्डी के इस चरित्र का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पार बहुत पर्भाव पड़ा था | भारत के स्वयं लाला लाजपत राय ने गैरीबाल्डी की जीवनी लिखी थी |
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गैरीबाल्डी - का पूरा नाम ज्यूसप गैरीबाल्डी था | इनका जन्म 180
7 में नीस नामक नगर में हुआ था | यह पेसे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थन था परन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थन बन गया | गैरीबाल्डी ने सशस्त्र कर्न्ति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रान्तों का एकीकरण कर वहाँ गणतंत्र की स्थापना करने का पर्यास किया | गैरीबाल्डी ने नेपल्स और सिसली पर आक्रमण किया | इन प्रान्तों की अधिकांश जनता बूर्बों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गया था | गैरीबाल्डी ने यहां विक्टर एमैनुएल के पर्तिनिधि के रूप मे सता संभाली | गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान का कबूर ने भी समर्थन किया |
1862 में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई |कबूर ने गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पिडमाउंट की सेना भेज दी | इसी अभियान के बिच में ही गैरीबाल्डी को काबूर से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं ख़त्म हो गया | दक्षिण इटली के जीते गये क्षेत्रों को गैरीबाल्डी ने विक्टर एमैनुएल को सौंप दिया |गैरीबाल्डी ने अपनी सारी सम्पति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन जीने लगा | जिस त्याग, देशभक्ति और वीरता का परिचय उसने दिया, उसके उदाहरण संसार के इतिहास मे बहुत कम मिलते हैं | गैरीबाल्डी के इस चरित्र का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पार बहुत पर्भाव पड़ा था | भारत के स्वयं लाला लाजपत राय ने गैरीबाल्डी की जीवनी लिखी थी |
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ReplyDeleteNyc bete
ReplyDeleteNyc bro.😎😎
ReplyDeleteThank you bro
DeleteThanks help karna ka liya
ReplyDeleteजंम 1887 मे हुआ और
ReplyDeleteआकरमन रोम पर 1862 मे कैसे कर दिया
Abe 1807me hua tha janm
Delete1887 me ye expire ho gaya tha
DeleteBakwas hai iska janm 1807 me hua tha
ReplyDeleteगैरीबालडी का जनम 1887 में नहीं बलकी 1807ई0में हुआ था
ReplyDeleteThank
ReplyDeleteOsm bro🤟🤟🤟
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeletemast bro
ReplyDeleteNyc bro
ReplyDeleteUnhone kiya kiya ye nahi batye
ReplyDeleteso sexy
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