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Showing posts from May, 2018

पपीता खाने के 20 जबरदस्त फायदे |

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पपीता के पेड़ लम्बे, पतले व कोमल होते हैं | पपीता के पेड़ मे कोई डालियाँ नहीं होता है | इस पार् लगने बाले फल को पपीता कहा जाता है | पपीता कच्चे रहने पर हरा दीखता है और पक जाने पर पीले रंग का हो जाता है | पपीता खाने मे बहुत स्वादिस्ट लगता है |  कच्चे पपीते को सब्जी व आचार भी बनया जाता है | और पके पपीते को कचूमर व चटनी भी बनाई जाती है | रोज सुबह पपीता का सेवन करने से कब्ज ख़त्म भी हो जाती है | और पाचन शक्ति भी बढती है | हानिकारक - गर्भावस्था के दौरान कच्चा व पका पपीता बिल्कुल नही खाना चाहिए | जिन स्त्रियों को मासिक - धर्म अधिक आता है उन्हें भी नहीं खाना चाहिये | बवासीर के रोगियों को कच्चा पपीता नहीं खाना चाहिए | पपीता के बीजों को खाने से गर्भपात हो सकता है |  पपीता के विभिन्न रोगों मे उपयोग | दाद रोग के लिए :-   पपिते से दूध को निकालकर नियमित रूप से दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता हैं |                                                  ...

एलोवेरा जूस के 15 बेहतरीन फायदे |

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एलोवेरा को घृतकुमारी भी कहतें हैं |यह छोटा सा कटीला पौधा होता है इसकी पतियों मे ढेर सारा तरल पदार्थ होता है | इसमे कई प्रकार के विटामिन और प्रोटीन पाए जातें हैं | इसलिए यह हमारे मे बहुत फायदेमंद होता है |यह औषधि गुणों से भरपूर होता है, आप एलोवेरा का नियमित इस्तेमाल कर के फिट रह सकते हैं, तो चलिए जानते हैं एलोवेरा का किया - किया फायदे हैं | और इसका उपयोग किस तरह से क्या जाता है | एलोवेरा के उपयोग और फायदे  (1)  एलोवेरा हमारे शारीर में खून की कमी को दूर करता है | और रोग पर्तिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है | (2)  बालों की समस्या य बालों की मजबूती से छुटकारा पाने के लिए एलोवेरा संजिवनी का काम करता है  (3)  एलोवेरा के जूस पीने से त्वचा की नमी बनी रहती है | और त्वचा चमकदार भी दिखती है | (4)   एलोवेरा के जूस पिने से त्वचा की खराबी, जैसे मुहांसे, रुखी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बे,आँखों के काले घेरे भी दूर हो जातें हैं | (5)   एलोवेरा के जूस पिने से खून को शुद्ध  करता है और हिमोग्लोविन की कमी को भी पूरा करता है | यह शरीर ...

दही खाने के 20 बेहतरी फायदे

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लोग कहतें हैं की शुभ काम में जाने से पहले दही खाकर जाने बालों लोगों को सफलता मिलती है | और साथ ही, दही सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है | इसमे बहुत सारे एसे रासायनिक पदार्थ होतें हैं जिससे दूध की तुलना में दही जल्दी पच जाता है |  और दही से बहुत सारे रोगों को भी दूर करता है | जैसे खुजली, हाथ - पैरों मे जलन, आग से जलन आदि | तो चलिए दही से बहुत सारे रोग दूर करने के उपाय आपको बताते हैं |  दही से बहुत सारे रोगों को दूर करने का उपाय -  (1)      खुजली -   शारीर मे जहाँ खुजली है वहाँ दही लगाने से खुजली ठीक हो जाती है | (2)     हाथ - पैरों मे जलन -   दही के तोड़ (मट्ठा ) हाथ - पैरों अच्छे से मालिश करने से हाथ पैर की जलन ठीक हो जाती है | (3)    दाद के रोग - बैर के पते को पीसकर दही मे मिलाएं और दाद पर लगाने से दाद के रोग ठीक हो जाता है | (4)   होठों की लाली के लिए - केसर और दही के मखन को मिलाकर होठों पे लगाने से होठ लाल हो जाता है | (5)    फरास -   एक कप दही मे नमक मिला लें | इस दही को बा...

बिहार चम्पारण सत्याग्रह

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महत्मा गाँधी के सत्याग्रह का आरंभ चम्पारण से शुरू हुआ था | गाँधी जी ने इस आन्दोलन में सत्य और अहिंसा को आधार बनाया था, इसलिए इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है |     चम्पारण में नील की खेती बहुत दिनों से होती थी | इस क्षेत्र में अंग्रेज बागान मालिकों को जमीन को ठेकेदारी दी गयी थी | इनलोगों ने इस क्षेत्र में  तीनकठिया प्रणाली लागु कर रखी थी | इसके अनुसार पर्त्येक किसान को अपनी खेती - योग्य जमीन के 3/20 हिस्से या 15 % हिस्से में नील की खेती करनी पड़ती थी जबकि किसान नील की खेती नही करना नहीं चाहतेे थे, क्योंकि भूमि की उर्वरता कम हो जाती थी | इतना ही नहीं, किसान अपना नील बहार नहींं बेच सकता था, उन्हें बाजार से कम मूल्य पार् बागन - मालिकों को ही नील बेचना पड़ता था | तीनकठिया व्यवस्था में 1908 में कुछ सुधार भी लाया गया था, परन्तु इससे किसानों मे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ | जब जर्मनी के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम नीले रंग का उत्पादन शुरू कर दिया तब विश्व बाजार में भारतीय नील की मांग गिर गई | जब नील का मूल्य घटने लगा तब बागान - मालिकों ने इस क्षति की पूर्ति भी किसानों से ही करनी ...